Mesh Sankranti 2023 Date: कब है मेष संक्रान्ति? नोट कर लें तिथि, महत्व और दान का महापुण्यकाल
Mesh Sankranti 2023 Shubh Muhurat: मेष संक्रान्ति का हिंदू धर्म में विशेष महत्व माना जाता है क्योंकि इस दिन से खरमास की समाप्ति हो जाती है और इसके साथ शुभ काम की शुरुआत हो जाती है.
कब है मेष संक्रान्ति? नोट कर लें तिथि, महत्व और दान का महापुण्यकाल
कब है मेष संक्रान्ति? नोट कर लें तिथि, महत्व और दान का महापुण्यकाल
Mesh Sankranti 2023 Significance: ज्योतिष में 12 राशियों के बारे में बताया गया है. सूर्यदेव एक-एक करके इन राशियों में प्रवेश करते हैं और हर राशि में करीब एक महीने तक रहते हैं. इस तरह सालभर में 12 संक्रान्ति होती हैं. जब सूर्य मेष राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे मेष संक्रान्ति कहा जाता है. मेष संक्रान्ति (Mesh Sankranti) हिंदू वर्ष की पहली संक्रान्ति होती है. इसी दिन सिक्ख समुदाय में बैसाखी का पर्व भी मनाया जाता है. इस साल मेष संक्रान्ति 14 अप्रैल शुक्रवार के दिन पड़ रही है. यहां जानिए मेष संक्रान्ति का महत्व, दान का महापुण्यकाल.
मेष संक्रान्ति का महत्व
ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र के मुताबिक मेष संक्रान्ति का हिंदू धर्म में विशेष महत्व माना जाता है क्योंकि इस दिन से खरमास की समाप्ति हो जाती है और इसके साथ शुभ काम की शुरुआत हो जाती है. संक्रान्ति के मौके पर पवित्र नदी में स्नान, दान-पुण्य का बहुत महत्व होता है. इसके अलावा सूर्य पूजन करने का विशेष महत्व माना जाता है. मान्यता है कि इससे आपके जीवन के तमाम कष्ट कट जाते हैं और सूर्य की कुंडली में स्थिति प्रबल होती है और सूर्य से जुड़ी तमाम परेशानियां दूर होती हैं. ज्योतिषाचार्य का कहना है कि वैसे तो दान और पुण्य कभी भी किया जा सकता है, लेकिन अगर दान किसी शुभ अवसर पर और शुभ काल में किया जाए, तो इसका महत्व कहीं ज्यादा बढ़ जाता है.
मेष संक्रान्ति पर दान का पुण्यकाल
14 अप्रैल को सूर्यदेव दोपहर 03 बजकर 12 मिनट पर मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करेंगे. इसलिए मेष संक्रान्ति 14 अप्रैल को मनाई जाएगी. इस दिन दान का पुण्यकाल सुबह 10 बजकर 55 मिनट से शाम 06 बजकर 46 मिनट तक रहेगा. इस बीच आप कभी भी दान कर सकते हैं. वहीं महापुण्यकाल की बात करें तो ये दोपहर 01 बजकर 04 मिनट से शाम 05 बजकर 20 मिनट तक रहेगा.
मेष संक्रान्ति पर क्या करें
- इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करें. अगर वो न कर पाएं तो स्नान के समय पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिला लें और मां गंगा को याद करके इस पानी से स्नान करें. इससे भी आपको गंगा स्नान का पुण्य मिल जाएगा.
- स्नान के बाद सूर्यदेव को अर्घ्य दें. सूर्यदेव को अर्घ्य देते समय तांबे के लोटे में थोड़ा गुड़, लाल पुष्प, अक्षत और रोली डाल लें. जल देते समय नीचे कोई खाली गमला या बाल्टी रखें ताकि जल के छींटें पैरों पर न पड़ें.
- इस दिन सूर्यास्त से पहले सूर्यदेव के मंत्रों का जाप करें या गायत्री मंत्र का अधिक से अधिक जाप करें. आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें.
- इस दिन पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण आदि शुभ काम भी करना भी अच्छा माना जाता है. इससे आपके पितृगण प्रसन्न होते हैं और पितरों से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं.
- जरूरतमंदों को इस दिन सामर्थ्य के अनुसार अनाज, वस्त्र आदि जो कुछ भी दान कर सकते हैं, वो दान करना चाहिए.
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